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कहते हैं… कैशलेस इकोनॉमी के बड़े ख़तरे हैं साहब ! कनेक्टिविटी न मिली तो ‘ढाबे’ पर बर्तन भी धोने पड़ सकते हैं.
बेशक !
वो ‘उदयों’ को ‘पुरियों’ को ढाबे पर काम करने वाले ८-१० साल के बच्चों की यथास्थिति तो पता चल जाएगी !
…और यह बताएंगे साहब ? वो पप्पू जो कल ‘भूकंप’ की बात कर रहा था…उसके पापा ने जब ‘पित्रोदा’ के नेतृत्व में राग ‘डिजिटल’ छेड़ा था तब देश की साक्षरता कौन सी 100% थी ?
यह ठीक है कि स्मार्ट होने तक कैशलेस की ‘तक़नीक’ कभी भी ‘गिनने’ की मजबूर आदत का विकल्प नहीं बन सकती ! लेकिन ध्यान रखिए ‘तकनीक’ भाई-भतीजावाद को नहीं मानती और न ही तकनीक को ‘बुआ-बबुआ’ से कोई लेना देना होता है !
यह ऑन लाइन ट्रांजक्शन हमारी संस्कृति बन चुके ‘अंडर द टेबल’ लेन- देन को रोक सकता है.
दिक्कत जानते हैं कहाँ पर है ?
दरअसल हम चाहते हैं…हम चर्म चक्षुओं से 84 आसनों में पारंगत ‘सनी लियोनी’ जी का शिख-नख पान भी कर लें और हमारी यौन सुचिता भी बरक़रार रहे ?
इंम्पॉसिबल !
रात के अँधेरे में देखी गयी पोर्न साइट के साक्ष्य आप ‘डिलीट हिस्ट्री’ से गायब कर सकते हैं. लेकिन गूगल बाबा सब सुरक्षित रखते हैं.
…और जब कोई ‘विकी’ लीक्स की ‘उँगली’ करता है तो ‘दय्या’ निकल जाती है…!
सोशल मीडिया पर मोदी को गाली देने वाली औरतों के प्रायोजित वीडियो ‘शेयर’ करने वाले ‘लौंडों’ तुम ही थे जो दलाली के लालच में बैंक की लाइन में लग कर,नमक की शॉर्टेज का भरम खड़ा करके अपनी ‘माँ’ के दूध को लजा रहे थे.
ख़ातिर जमा रखो ‘नोटबंदी’ ने तुम्हारे ‘पते’ उभारकर रख दिए हैं.और एक क्या हज़ारों मोदी पैदा हो चुके हैं.
वर्ग संघर्ष तय है…!
आमीन !
– Ishuईशू
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