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बैंक की लाइन

मेरा पक्ष...
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My Post –
देश ‘ठेके’ पर वाइन के लिए लाइन में लग सकता है ! इंडिया शाइन के लिए उसे बैंक की लाइन में लगना अपमान जनक लगता है.
क्या #पप्पू- पना है ?

आलोक दीक्षित जी की प्रतिक्रिया –
नरेंद्र मोदी ने सत्तर करोड़ रुपये अपने डिजाइनिंग कपड़ों पर खर्च किये है. वो सत्तर करोड़ कहाँ से आये? क्या वो ‘ब्लैक धन’ नहीं है? वो सत्तर करोड़ कहाँ से आये? देशवासियों को ये सवाल पूछने का टाइम आज ही है, कल भी है और परसों भी रहेगा. पूछो ये सवाल. प्रजातंत्र के नागरिक है तो ये सवाल तो सबसे पहले पूछना चाहिए? जवाब मांगना फ़र्ज़ है सभी का मोदी से कि ये सत्तर करोड़ कहाँ से आये?

उपरोक्त पर मेरा एक कमेंट…Comment –
डिज़ायनर कपड़े मोदी जी की कमज़ोरी हो सकते हैं. मैं अपनी पूर्व पोस्ट में इसका विरोध दर्ज़ करवा चुका हूँ. यही नहीं उनके नाम कढ़े कोट पर तो मैंने एक लम्बी पोस्ट भी लिखी थी. लेकिन आलोक सर क्या आपको नहीं लगता कि मात्र विलासी ड्रेस की कमज़ोरी के आधार पर आप उनकी उपलब्धियों को धता बता दें ?
सर…मैं साहित्य के माध्यम से मनोविज्ञान का घनघोर विद्यार्थी हूँ इस आधार पर मुझे विश्वास है कि उनकी ड्रेस प्रियता उनके व्यक्तित्व की कमज़ोरी हो सकती है…नैतिकता रूपी चरित्र की नहीं. ‘राष्ट्रवाद’ और अंतिम आदमी ( आपके शब्दों में रिक्शावाला ) के प्रति वे सतर्क ज़रूर होंगे.
वैसे दो बातें और… पहली वो जो मोदी लिखा कोट था उनके एक प्रशंसक द्वारा प्रायोजित था. बाद में यह कोट नीलाम होकर,इससे अर्जित धन राशि को कल्याण कोष में दान कर दिया गया था.दूसरा उनका व्यक्तित्व न तो राष्ट्रपिता गांधी जी लँगोटी…धोती वाला छद्मी है…और न ही राष्ट्रपप्पू राहुल गांधी जी की तरह 4000 हज़ार रुपये एक्सचेंज कराने की नौटंकी जैसा.
आलोक सर…मुझे लगता है #’नोटबंदी’ के अवसर पर आज राष्ट्र को जितनी मोदी भक्तों की ज़रूरत है उससे कहीं ज़्यादा मोदी जी की विचार धारा के धुर विरोधियों के सहयोग की भी !
बेहद कड़ी परीक्षा है सर !
हरामजादे कालाधनी / कालाबाज़ारी बड़ी बेशर्मी से काला…सफ़ेद करने में लग गए हैं. गरीबों के जनधन एकाउंट,आधारकार्ड उनके निशाने पर हैं…ये कुत्ते आम आदमी के हाहाकार को ढाल बनाकर फिर से यथास्थिति बहाल कर सकते हैं. मैं आप जैसे बुद्धिजीवियों से इस अवसर पर छिछली राजनीति न करने की भीख माँगता हूँ. और वायदा रहा ‘समय’ मिलते ही मैं मोदी जी से ड्रेस के मामले में उनसे सादगी बरतने की करबद्ध मांग भी करूँगा ?
– प्रदीप पालीवाल “ईशू”
9761453660

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