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झपकियों से पूछा जा सकता था…

मेरा पक्ष...
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झपकियों से पूछा जा सकता था…
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किम-जोंग-उन
सिर्फ़ नाम भर नहीं…


झपकियों को यहाँ
तोप के मुहाने मिलते हैं.


झपकियों से पूछा जा सकता था-
काम की अधिकता के बारे में,
रात भर जगे रहने का सबब…
या कि यह भी
कि क्या आपको
तानाशाह का भाषण बोर लगा ?


क़ायदे से
झपकियों को
बिना आहत किए
दी जा सकती थी
आराम की मोहलत.


मगर पूछता कौन ?
तानाशाह को
आदेश पसंद है
दलील नहीं !


तानाशाह के शब्दकोश में
झपकियों के माने
अशिष्टता होता है
थकन नहीं.


संवेदना से परे जाकर
झपकियों को ऐसा दण्ड
हमारे समय की विडम्बना है !
***

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