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“ईशू उवाच”

मेरा पक्ष...
मेरा पक्ष...
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विसंगतियों पर मेरी चीखें अक्सर “ईशू उवाच” के रूप में सामने आती हैं…
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“गांधी” एक व्यक्ति ( संज्ञा ) था…जिसके कई ‘अहसान’ हमारे ऊपर हो सकते हैं…हैं…!
लेकिन आज “गांधी” सिर्फ़ एक ‘विशेषण’ है…जिसे हम अहसान फ़रामोश सिर्फ़ और सिर्फ़ “कैश” करने में लगे हुए हैं…!

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२ अक्टूबर को हम ‘गांधी’ जयंती ‘मनाते’ हैं…!
‘शास्त्री’ जी का क्या ? उन्हें तो बस ‘निबटाते’ हैं…!!

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“गांधी” ( राम ) की बात करते थे…
“शास्त्री” ( किसान ) की…
…सोचिए ‘ज़मीन’ से जुड़ा कौन…?

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सॉथबी ऑक्शन हाउस द्वारा नीलाम किया गया ‘गांधी’ जी का पत्र 43 लाख रुपये में बिका !
बाज़ार के लिए ‘इतिहास’ उत्पाद से ज़्यादा कुछ नहीं ! ‘विचारों’ और उसके विस्तार से उसका कोई वास्ता नहीं ! “गांधी” या फिर कोई अन्य बाज़ार के लिए “कच्चा माल” ही हैं…!!

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‘गांधी जी’ कहा करते थे…
यदि ‘कल’ मुझे लगेगा ‘आज’ मैंने जो कहा ग़लत है…
मैं सहर्ष स्वीकार कर लूँगा…
ग़लती होना ग़लत नहीं…ग़लत है,ग़लती पर टिके रहना…!!

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बिहार का चुनाव मेरे लिए भी लिटमस टेस्ट है. देखता हूँ भाजपा के ‘स्कूटी’ रूपी पूँजीवाद का समाजवादी नितीश एण्ड कंपनी कैसे मुक़ाबला करती है ?
– ईशू

विज़न डॉक्यूमेंट और कुछ नहीं लालच का राजनैतिक जस्टीफिकेशन है. वोट की ख़ातिर ख़ैरातरूपी तोहफ़ा है. यह आधारभूत ढ़ाँचे को दुरुश्त करने की नहीं पत्तों को सींचकर तात्कालिक लाभ उठाने की बेशर्म ‘दृष्टि’ है.
– ईशू

वाह ! आप अपनी बेटी की हराम की कमाई से मँहगी,बेशर्म…निर्लज्ज शादी कर सकते हैं. लेकिन प्रशासन इसी दिन इस संदर्भ में कोई कार्रवाई नहीं कर सकता ! क्यों ? आप राष्ट्र से ऊपर हैं क्या ? आख़िर आपकी बेटी,आपके दामाद एण्ड कंपनी को भी तो आपका डार्क पक्ष जानना चाहिए न ?
– ईशू

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