मेरा पक्ष...
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मौन
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मुझे मौन पसंद है. क्यूंकि यह बहुत बोलता है.
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मौन को देखना,देखकर ‘वहाँ’ के हालात का अनुमान लगाना दरअस्ल ख़ुद को ‘ख़राद’ पर कसना है.छीलना है. …
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मौन अभिव्यक्ति से पहले का पुनर्विचार है.
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मौन की थाह लेने के लिए आँखों के रास्ते प्रवेश लें.
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मौन अल्पज्ञता को संदेह का सहारा देता है.
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अधूरी बातें सुनना,सुनते ही प्रतिक्रिया देना अनर्थ पैदा कर सकता है. मौन सामने वाले को अभिव्यक्ति का पूरा अवसर देता है.मौन की उपस्थिति में बातचीत की गरिमा बढ़ती है.
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