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स्कर्ट

मेरा पक्ष...
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स्कर्ट
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विषय अनेक
कुछ ज़्यादा जरूरी समस्याएँ भी…
फिर भी
आइये लिखते हैं
एक तथाकथित कविता
स्कर्ट के नाम !

स्कर्ट
‘ए लॉन्ग गारमेंट दैट हैंग्स ब्लो द वेस्ट’
नहीं जनाब…
इतनी आसान कहाँ
मेरी ‘स्कर्ट’ की परिभाषा ?

मेरी ‘स्कर्ट’
जुड़कर ‘ राधे माँ ‘ से…
ग्लोबल हो चुकी है
बदल गई है इसकी घिसी-पिटी परिभाषा !

आयाम तो वाक़ई
हो चुके हैं बेहद रोचक,
छद्मी आलोचनाओं के बावज़ूद
लाखों ‘लाइक’ मिल चुके हैं अब तक
इस राधे माँ की स्कर्ट को !

योगी ‘योग’ छोड़कर
संत ‘संतई’ छोड़कर
राज सत्ताएँ ‘राजनीति’ छोड़कर
कवि ‘कविताई’ छोड़कर
‘स्कर्ट’ चिंतन में लगा है
इसकी लम्बाई और गोलाई को लेकर
थर-थर काँप रहे हैं समाज विज्ञानी
कि अब तो
आदर्श / नैतिकता की भैंस
पानी में गयी ही समझो !

सब जानते हैं
कि सारा मसला –
बाज़ार,
मठाधीशी,
धर्म के नाम पर
अर्जित की जाने वाली
अकूत धन-राशि का है…
फिर भी
गढ़ी जा रही हैं
अश्लीलता की मनमाफ़िक परिभाषाएँ
ख़ुद ही दर्ज़ करवाऐ जा रहे हैं मुक़दमे
सुनाए जा रहे हैं ख़ुद ही फ़ैसले भी !

वाक़ई ये अश्लीलता का मुद्दा
बड़ा पेचीदा है –

क्या भूखे पेट को सड़ा मिड डे मील खिलाना
और रटाना…
ए फॉर ‘एप्पिल’ अश्लील नहीं ?
क्या नंगी राजनीति के पुरोधाओं का
मात्र ‘डी एन ए’ के मुहावरेदार शब्दिक
प्रयोग को तूल देना अश्लील नहीँ ?
क्या ‘फाँसी’ के बहाने अपनी-अपनी
राजनीति साधना अश्लील नहीं ?

दोस्तों !
सच-सच बताना
जब राजनीति किसी भ्रष्टाचारी को
प्रश्रय देती है…
तो क्या यह सीधा-सीधा
अश्लीलता का मामला नहीं बनता ?

संस्कृत के इस विशेषण शब्द के बारे में
कोश कहता है –
अश्लील माने…
गंदा
माने – फ़ूहड़
माने – भद्दा

तो फिर कठघरे में
मात्र ‘राधे माँ की स्कर्ट’ ही क्यों ?

हम यहाँ
अश्लीलता के तुलनात्मक अध्ययन के लिए नहीं बैठे
और न ही दे रहे हैं
आरोपित राधे माँ को क्लीन चिट !

आशय मात्र इतना
कि आप समझें –
बाज़ार की अश्लील क्रूरताएं…
सत्ताओं के नापाक़ अश्लील गठजोड़…
मीडिया का अश्लील मायाजाल…
तकनीक का अश्लील छद्म…

और…
अपना अश्लील दोगलापन भी…!

और जाने यह भी
कि कोई
कैसे और क्यूँ
बनती है या बनाई जाती है –
राधे माँ !
राधे माँ जैसी !!

और अंत में…
‘सैल्फी’ प्रेमी प्रधानमंत्री जी से
कर बद्ध एक निवेदन-

सर-
आप नदियों को स्वच्छ करने निकले हैं
लगे हाथ
कर दीजिए
कुंभी घाटों का विस्तार भी
ताकि
कोई किसी राधे माँ को
शाही स्नान से न कर सके वंचित !

अब नदियों की पवित्रिताएं
किसके पाप कैसे धोती हैं
यह महान नदियाँ ही जाने !

***

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