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राहुल सर अमेठी में…

मेरा पक्ष...
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भाषण की राजनीति
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राहुल सर अमेठी में…
( 19-08-15 )
वाक़ई होती है भाषण की राजनीति.गहरी और उल्लेखनीय भी !
राहुल सर आज अमेठी में थे.यूँ तो हमारे जनप्रतिनिधि मंच से ही भाषण देने के आदी हैं.क्यूँकि हैलीकॉप्टर से उतरकर सीधे मंच पर उनकी प्रस्तुति उन्हें आभिजात्य बनाती है. विजुअल भी अच्छे आते हैं.सैल्फुअल भी. भ्रम भी ख़ूब रहता है कि जनता उन्हें सुनने आयी है कि हैलीकॉप्टर देखने !लेकिन जैसा कि हम जानते हैं.वोट की ख़ातिर यदाकदा हमारे नेता चौपाए से उतरकर ‘चौपाल’ भी सजाते हैं और मन मसोसकर करते हैं पद-साइकिल यात्राएँ वग़ैरह भी !
ऐसी ही एक चौपाल पर खटिया पर बैठे राहुल सर फ़रमा रहे थे कि नरेन्द्र मोदी झूठे हैं,फेंकू हैं ! लम्बी-चौड़ी ‘फेंक कर’ ही उन्होंने केन्द्र की सत्ता हथियाई है. देखना,हम भूमि अधिग्रहण बिल आदि पास थोड़ई होने देंगे ! हम ये करेंगे…वो भी करेंगे…!
मुझे नहीं मालुम मोदी जी की स्टेडियम पॉलिटिक्स के बरअक्स राहुल सर की चौपाल कितनी कारगर होगी लेकिन इतना तय है ‘सुई’ अक्सर ‘तलवार’ से ज़्यादा कारगर सिद्ध हुयी है.
मंच से आप ‘जनता’ को सम्बोधित करते हैं लेकिन चौपाल सजाकर अक्सर आप ‘भीड़’ को समझाते हैं. अब देश के नागरिक, आपके वोटर ‘जनता’ हैं या ‘भीड़’ इसका निर्णय आप करें. लेकिन इस मनोविज्ञान का भी ख्याल रखें कि सम्बोधन में दूर से हाथ हिलाया जाता है जबकि चौपाल पर हाथ मिलते हैं.लोकतंत्र में अवसरानुकूल हाथ मिलाना अक्सर हाथ हिलाने पर 21 पड़ता है. स्टेडियम पॉलिटिक्स में सभा के अंत में हौच-पौच में मिलाए जाने वाले हाथ भी चौपाली ‘शेक हैण्ड’ का मुक़ाबला नहीं कर पाते.ऐसे में चौपाल के दौरान किसी बच्चे को गोद में उठाना,झोपड़ी में जाना किसी राहुल को मोदी से ज़्यादा ‘बाइट’ दिला जाता है.
जब हम भाषण की राजनीति को विश्लेषित करने बैठते हैं तो हमें अवसाद घेर लेता है. भाषण का स्वरूप ‘सम्बोधन’ हो या ‘समझाना’…दोनों में ही आज की राजनीति का छद्म समाया हुआ है. बोली लगाने वाले अंदाज़ में बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज़ देते समय मोदी जी उतने ही ‘सौदेबाज’ नज़र आते हैं जितने चौपाल पर भूमि आदि मुद्दे पर लोगों को समझाते राहुल सर निरीह.
नक्कारखाने में तूती की आवाज़ वाला मुहावरा पुराना पड़ चुका है. अब राजनीति के ‘मक़्क़ारख़ाने’ में ‘वेल’ का शोर प्रचलन में है.जहाँ मोदी का ‘मौन’ तो चर्चा में होता है किसी किसान की ‘मौत’ का प्रश्न नहीं !
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