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16 मई ’15
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यह ठीक है कि मैं व्यक्तिगत तौर पर ‘सेल्फ़ी’ को पसंद नहीं करता. मुझे यह तरीक़ा व्यक्तिगत प्रचार के ज़्यादा नज़दीक लगता है. फिर भी ‘फेसबुक युग’ के सम्मान की ख़ातिर मैं इस सेल्फ़ी लेन-देन को मतलबी ‘सैल्फ़िश’ खाते में डालने से बचना चाहूँगा.
वाक़ई दोस्तों ! यह ख़ौफ़नाक है कि आप सेल्फ़ी के चक्कर में जान गवाँ दें ! मैं इस दुनिया से प्यार करता हूँ. ज़ाहिर है आप इस दुनिया के दायरे में ही आते हैं .मैं आपको एक संभावना के तौर पर भी प्यार करता हूँ और आप हैं कि कभी नाव पर…बहती धारा के मध्य किसी चिकने पत्थर पर…रेल की छत पर लगभग स्टण्ट करते हुए अपनी जान लगातार ख़तरे में डाल रहे हैं.
हमारे प्रधानमंत्री जी ख़ुद सेल्फ़ी प्रेमी हैं. प्रचार राजनीति की मजबूरी है ! सो मोदी जी को सुरक्षित सेल्फ़ी लेने दें.’तकनीक’ हमारी सुविधा के लिए है…तकनीक पर मुहावरे में जान छिड़की जा सकती है…पर तकनीक के चक्कर में छद्म एडवेंचर को अपना कर जान जोखिम में डालना आत्मघाती है. अमानवीय भी !
मोदी जी , “मन की बात” में इन ‘बच्चों’ को कुछ समझाइये न !
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