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‘धैर्यपूर्वक उत्पीड़ित’

मेरा पक्ष...
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शौर्य के मामले में ‘ताल’ ठोंककर लड़ने में यक़ीन रखने वाले भारतीयों को यह बात अटपटी लग सकती है कि रोमन जनरल फैबियस मैक्सिमस लड़ाई के मैदान में सीधे मुक़ाबला करने के बजाय दुश्मनों को धैर्यपूर्वक ‘उत्पीड़ित’ करके विजय पाने की रणनीति में विश्वास करते थे ! बाद में इसी जनरल के नाम से ब्रिटेन की फैबियन सोसाइटी की स्थापना हुई ! इस सोसाइटी ने ‘फैबियन सोशलिज्म’ विचारधारा की स्थापना दी ! सुनते हैं जवाहरलाल नेहरू ‘फैबियन सोशलिज्म’ से काफी प्रभावित थे !
आज कांग्रेस की आर्थिक नीतियों पर जो अमानवीय होने के आरोप लगते हैं वह यूं ही नहीं !
अरे ! जिस पार्टी के आर्थिक चिंतन की पृष्ठभूमि में ‘धैर्यपूर्वक उत्पीड़ित’ करके ‘विजय’ पाने की ठंडी लेकिन असामाजिक वैचारिक आधारशिला का वॉलपेपर लगा हो ,अब उसके बारे में ज़्यादा क्या कहा जाए ?
मैं वैचारिक तौर पर सोचता हूँ कि आज़ादी के बाद भी हम सचमुच ‘आज़ाद’ नहीं हुए ! हमारी बाद की आर्थिक/सामाजिक नीतियों में अंग्रेज़ी सामंती/उपनिवेशी मानसिकता के क्रूर चिन्ह आसानी से खोज़े जा सकते हैं !
सिर्फ़ बौद्धिकता का तमगा हासिल करने के लिए ‘डिसकवरी ऑफ़ इंडिया’ लिखी गई ! किसी ने सचमुच ‘भारत की खोज़’ करने / भारत को जानने की चेष्टा नहीं की !
60 वर्ष से कांग्रेस भारत की ‘आत्मा’ को लहूलुहान करती आ रही है !
वैचारिक रूप से वाक़ई समय ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का है !
जब मैं कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना करता हूँ तो मेरा आशय ‘मोदी’ के वैलकम से नहीं जोड़ा जाना चाहिए ! मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत की तरक्की चाहता हूँ !और मेरा मानना है कि किसी दूसरी ( कांग्रेस मुक्त ) विचारधारा को क्यूँ नहीं आज़माया जाना चाहिए !
एक विकल्प के रूप में ‘मोदी’ 60 महीने माँग रहे हैं ! दिए जाने चाहिए !
शायद वे ज़्यादा ज़मीनी रूप से ‘भारत’ को जानते हों ?
भारतीय लोकतंत्र पर विश्वास रखें ! अलोकप्रियता ‘मोदी’ एण्ड कंपनी को भी 60 माह बाद ‘ज़मीन’ पर ला पटकेगी !
– ईशू

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