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यदा-कदा ही सही,घर आते भी…!

मेरा पक्ष...
मेरा पक्ष...
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साथी थे…तो साथ निभाते भी
यदा-कदा ही सही,घर आते भी
रिश्तों में तो ऊँच-नींच आम है
कुछ सुनते…कुछ सुनाते भी !

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