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हाँ ! इधर मैं निष्ठुर हुआ हूँ…

मेरा पक्ष...
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हाँ ! इधर मैं निष्ठुर हुआ हूँ…
———————————————–
( फर्स्ट ड्राफ्ट )

बता दूँ…
पोस्टकार्ड के जवाब में
हमने हमेशा लिखे हैं…
अंतर्देशीय पत्र !

तथ्य छोडिए,
मौसम तक मेरे पत्रों में
पूरी नमी के साथ उपस्थित रहा है…!

हाँ ! इधर मैं निष्ठुर हुआ हूँ …

पत्र छोडिए –
एसएमएस के जवाब में
मैं एसएमएस तक टाइप नहीं करता !
प्रत्यक्षतः भी बस ‘हूँ’ … ‘हाँ’ तक
समेट रखा है ख़ुद को …!

अब ऐसा क्यूँकर हुआ ?

क्षमा करें
हमेशा की तरह
मेरी ताक़त नहीं है कि मैं
झाँक सकूँ
इस बात को लेकर भी अपने गरेबां में

चाहें तो आप देखें…मापें कि
यदि मेरी संवेदना का जलस्तर
इतना गिरा तो
इसकी क्या वजहें रही होंगी ?

पुराने अंदाज़ में कहें –

यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता !

***

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