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जय साबरमती के संत !

मेरा पक्ष...
मेरा पक्ष...
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June 10,2013
“यदि मुझे कभी बापू जैसे ब्रह्मचर्य संबंधी प्रयोग की ज़रुरत पड़ी तो…यह प्रयोग मैं अपनी धर्मपत्नी के साथ करना पसंद करूंगा…इसके लिए किसी…मनु,आभा,सुशीला नैयर,बीबी अम्तुस्सलाम,बीना,कंचन,लीलावती,मीरा आदि को नाहक परेशान -न करूंगा !”
जय साबरमती के संत !
– ईशू
मित्रों से विनम्र आग्रह है…”ईशू” उपनाम से लिखी जा रही सारी पोस्ट मेरी ही हैं…मेरी राजनैतिक पोस्ट पर कमेण्ट करते समय मेरे साथी संयम का परिचय दें…फेसबुक विचार विनमय का केंद्र है…जंग का मैदान नहीं…और हाँ ! मेरी पोस्ट पर सभी मित्रों की आलोचकीय राय का सदैव स्वागत है…लेकिन किसी भी पोस्ट को ‘व्यक्तिगत’ बनाने की चेष्टा न की जाय…मेरे शब्दकोष में आपके सार्थक कमेण्ट का तो प्रत्युत्तर है…आपकी थूक/पीक/कुंठा का नहीं…है भी तो मैं उसका स्तेमाल नहीं करना चाहता…!
– ईशू
भाजपाई अंतर्कलह पर कांग्रेसी ख़ूब मजे ले रहे हैं…लेना भी चाहिए …हालात कुछ ऐसे हैं …लेकिन वे उस पार्टी को ‘बुजुर्गों’ को सम्मान देने की सीख दे रहे हैं जहां ‘आडवानी’ जी को मनाने की शिष्ट परंपरा अभी भी विद्यमान है …याद रहे ये वही पार्टी है जिसके अशिष्ट युवराज ( स्व० संजय गांधी ) की उतरी चप्पल को बाप दाखिल बुज़ुर्ग कांग्रेसी के उठाने …लेकर पहनने को भी सामान्य माना जाता रहा है …!
– ईशू
आदरणीय नीलकमल जी, न तो मैं बिल्ली हूँ और न ही मैं खम्भा नोंचने में यक़ीन रखता हूँ | जहाँ तक मुहावरे की बात है तो आपके कांग्रेसी मनः स्थिति के लिए बता दूँ …जिनकी लंगोट ढ़ीली होती है वे चरित्र पर प्रवचन नहीं दिया करते !
– ईशू
सुना है भाजपाई कलह से कांग्रेस गदगद है…जिस पार्टी के भ्रष्ट आचरण से आज देश वेंटीलेशन पर है…विचारधारा के नाम पर जहाँ ‘जी हुजीरी’ Sकी पुष्ट परंपरा हो…जहाँ सोनिया नाम की सत्ता की 24 घंटे ‘पल्स रीडिंग’ की जाती हो…जिस पार्टी ने ‘तुष्टी-करण’ को ‘वोट बैंक’ का पर्याय बनाकर सारे देश को बहु-अल्प संख्यक की दीवार से बाँट डाला हो…जिसने लोकतंत्र के माने बदल-डाले हों…जिसने देश के संघीय चरित्र को छिन्न-भिन्न कर डाला हो…उस पार्टी का कोई जनार्दन भाजपा के संपूर्ण सैद्धांतिक – पतन की बात करता है…तो इस पर सिर्फ़ हँसा जा सकता है !
– ईशू
June 10, 2013
मोदी को लेकर …
‘अटल’ …आडवानी से ज़्यादा दूरदर्शी थे …वे ‘राजधर्म’ के बहाने कथित ‘नासूर’ का इलाज़ अपने ‘सेक्युलर’ क़द को ऊँचा बनाने के लिए करना चाहते थे ! ‘नोबल’ उनकी प्राथमिकता था ! ‘दुर्गा’ का उच्चारण उनकी ‘कूटनीति’ थी ! ‘पार्टी’ में रहकर वे ख़ुद एक अतिमहत्वाकांक्षी ‘पार्टी’ थे …वे सचमुच ‘गोविन्दाचारी’ मुखौटे थे …!
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‘आडवानी’ भी मोदी को कभी प्रोत्साहन देकर अपनी ‘कट्टर’ छवि को ही आगे बढ़ाना चाहते थे ! ‘प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग’ की खीज़ ने उन्हें अब भी असमंजस में डाल रखा है ! अब वे भी ‘रथयात्रा’ के दाग़ को मोदी विरोध के साबुन से धोना चाहते हैं ! लेकिन शायद उन्हें नहीं मालुम अब ‘भीष्म पितामह / हिटलर को याद करने का समय नहीं …वे लोकतंत्र की लहरों पर भरोसा रखें …’कूड़ा’ ख़ुद किनारे लग जाएगा ! ‘दर्शक’ की भूमिका के अपने ‘आयाम’ होते हैं …आडवानी जी !
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…और ख़ुद मोदी …स्वयं को लेकर सतर्क हैं …कथित विकास की ढाल लेकर वे मैदान में हैं …’हिंसा’ को मौन स्वीकृति देने के दंश को वे भी मौक़ा मिलने पर ‘छुड़ाने’ का प्रयास करेंगे ! ‘दिल्ली’ में अभी उनकी ‘माइक टेस्टिंग’ बाक़ी है ! ख़ुदा ख़ैर करे !
– ईशू
भारतीय राजनीति में जनाकांक्षा / जनप्रिय / लोकप्रिय शब्दों का सर्वाधिक दुरपयोग किया जाता है ! फ़च्चर तब फँसता है जब ‘क्रूरताओं’ की भी लगभग इसी आधार पर सर्वस्वीकृति बनाने की कुचेष्टा की जाती है.तुर्रा ये कि ‘ताजपोशी’ के इन क्षणों को ‘युग परिवर्तन’ की संज्ञा और दी जाती है ! ‘हिटलर’ यदि विचार का नाम है…तो ये नाम आज भी मौंजू है ! पर्याप्त कथित लोकप्रियता के साथ !
– ईशू
June 8, 2013
जब लोग ‘मेडीकल ग्राउण्ड’ पर छुट्टी लेकर ‘घूमने’ जा सकते हैं तो ‘आडवानी’ जी इसी आधार पर ‘आराम’ फ़रमाकर ‘मोदी’ विरोध क्यूँ कर नहीं सकते !
– ईशू
राजनीति से जुड़कर ‘बीमारी’ अपना आयाम बदल लेती है !
– ईशू
“घोषणापत्र” नीति से ज़्यादा ‘नीयत’ को दर्शाते हैं !
– ईशू
June 7, 2013
राज और शिल्पा ने सट्टेबाजी की !
देखते हैं …मीडिया और क़ानून के विरुद्ध शिल्पा जी नारी सुलभ ‘अश्रु’ वार कब छेड़ती हैं !
– ईशू
बेचारे ‘मछुआरे’…राष्ट्रों की कथित ‘कूटनीति’ चारे बनकर रह गए हैं !
– ईशू

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