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“मंदिर-मसजिद बैर कराते …मेल कराती आरटीआई”

मेरा पक्ष...
मेरा पक्ष...
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June 5, 2013
“मंदिर-मसजिद बैर कराते …मेल कराती आरटीआई”
– ईशू
रामू हों या अमिताभ …ये बाज़ार के ‘गुलाम’ …लोलिता बनाकर किसी ‘जिया’ का ‘फ्रेश’ जूस तो पी सकते हैं लेकिन बाद में अपने सहयोगी की ख़ैर-ख़बर लेना नहीं जानते ! इनका किसी ‘जिया’ की आत्महत्या पर आश्चर्य मिश्रित शोक प्रकट करना निर्लज्ज नौटंकी है…ये आधुनिक युग के ‘ताज़ा’ ख़ून पीने वाले ड्रेकुला हैं !
– ईशू
June 4, 2013

…कारण जो भी हो …जिया खान…जिया जा सकता था !
मुझे कहीं भी हो ‘आत्महत्या’ बेहद तोड़ती है …मैं इसका विरोधी हूँ …
शायद यह कहकर ही आज तक मैंने ख़ुद को ‘ख़ुदकुशी’ से बचा रखा है …
…निः शब्द …जिया जी !
– ईशू
June 3, 2013
कोई ‘सोनाली रानाडे’ हैं …आप ट्वीट करतीं हैं …”समाजवाद की तुलना में पूँजीवाद कहीं बेहतर है !” कुछ कथित ऐतिहासिक अनुभवों के आधार पर वे अपनी बात की तसदीक भी करती हैं ! ख़ैर जो भी हो …देवी जी अगर सिर्फ़ और सिर्फ़ ‘पूँजी’ और ‘पूँजीवाद’ में फ़र्क करना सीख लेतीं तो शायद उन्हें ऐसा सतही ट्वीट करने की आवश्यकता न पड़ती !
– ईशू
June 1, 2013
सर ! न तो आप अज्ञानी हैं और न ही आज के कवि की कविता कथित रूप से ‘दुरूह’ ही है ! हाँ ! आज की विडंबनाओं ने सच और संवेदना को खासा ‘दुरूह’ बना दिया है ! एक ‘प्रयोग’ कीजिए सर …जिन कविताओं ने आपको थकाया/छकाया है उन्हें इस बार मेरे कहने से ‘ऐंगल’ बदलकर दुबारा पढ़िए …शायद कोई बात बने ?
…क्या आप चाहेंगे …कवि कविता न लिखे ? ऐसे में ‘नक्सली’ बनने का ख़तरा बढ़ जाएगा सर …कविता नकारात्मक दवाब को कम करने का उपक्रम भी है सर …!
– ईशू
…यदि आपको जर्मन भाषा के शब्द नाइडेल ( के एन ए आइ डी ई एल ) की सही स्पेलिंग मालुम होती तो आप भी 17 लाख रुपए जीतने वाले न्यूयॉर्क निवासी अरविंद महानकली हो सकते थे !
जीके और स्पेलिंग कलियुग में योग्यता के मापदंड हैं ! बाज़ारियों ने जुए का ख़ूब पर्याय खोज़ लिया है ! यह संबंधित पुस्तक की बिक्री का फंडा तो है ही !
– ईशू
May 31, 2013
…अजी अजरारी-कजरारी छोडिए…
नज़रें सिर्फ़ दो प्रकार की होती हैं…
“छा” जाने वाली…
और
“खा” जाने वाली…!
– ईशू
May 29, 2013
वैसे तो अभी तय होना बाक़ी है कि क्रिकेटिया फिक्सिंग जीवनोपयोगी ‘आर्ट’ है या फिर भ्रष्टाचार का ही एक उत्पाद ! लेकिन इतना तय है इसमें पकड़े जाने पर भी ये नश्वर संसार चलता रहता है …अंकित चव्हाण को शादी के लिए जमानत नहीं मिली ! बेचारे ने कोर्ट से लाख दरख्वास्त की …सर शादी के कार्ड भी बँट चुके हैं …ये वर / बधू दोनों पक्षों की इज़्ज़त का सवाल है …यानि फील्ड में ‘इशारे’ होते रहते हैं …उधर मंडप भी सजता रहता है …कहीं रेंगी किसी ‘बोल्ड’ लड़की के ‘जूं’…कि जिस लड़के से वो विवाह रचाने जा रही है …वह एंटी सोशल है ? तो क्यूँ न वो उसे नकार दे ?
– ईशू
सारे ‘नामवरी’ लगे हैं …कि मरते समय गाँधी जी के मुख से “हे राम !” निकला था कि ” हाय राम !”
मैं तो आईविटनेस नहीं था …लेकिन इतना तय है गोली लगने पर गाँधी जी को आश्चर्य ज़रूर हुआ होगा कि ‘सत्य’ के साथ इतने प्रयोग करने पर भी उनका ऐसा हस्र क्यूँ कर हुआ ? उनसे चूक हुई तो कहाँ हुई ?
– ईशू
May 28, 2013
पास्कल एलेन नजारेथ द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘गांधीज आउटस्टैंडिंग लीडरशिप’ का बीजिंग ( चीन ) में आधिकारिक विमोचन क्या हुआ …हमारी मीडिया ने इसे ‘माओ के चीन में बापू के विचारों की दस्तक’ करार दिया !
‘सत्य’ के साथ मन चाहे प्रयोगों के लिए गांधी जी जीवन भर अभिशप्त रहे !अब उनके कथित विचार साम्यवादी चीन को कितना प्रभावित करेंगे? मेरी द्रष्टि में आज न केवल हमारे लिए वरन शेष विश्व के लिए ‘गांधी’ शब्द उस कच्चे माल / आवरण की तरह है जिसका प्रयोग न केवल अपने ख़ूनी आर्थिक मंसूबों / भीभत्स निज़ी स्वार्थों को विस्तार देने…साथ ही अपनी कुत्सित मानसिकता को ‘ढाँकने’ के लिए किया जा रहा है !
– ईशू
May 27, 2013
कहावत के अनुसार डॉक्टर का दर्ज़ा भगवान के समान होता है ! डॉक्टर का धर्म से नहीं रोगी से रिश्ता होता है ! लेकिन सियासत चाहे तो दो दिलों में डॉक्टर के बहाने भी दरार डाल सकती है !
आईपीएल की कमान आप किसी सच्चे ‘नक्सली’ के हाथों में दे दें …ये जितने ‘चियर्स’ के पक्षधर हैं …’शिप’ करना भूल जाएँगे …फिर किसी श्रीनिवासन से स्तीफ़ा मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी …स्तीफ़ा …सुबह आपको टेबल पर धरा मिलेगा !
– ईशू
बेवकूफ़ियों के दोहराव में हमारा कोई सानी नहीं ! हम फिर नक्सली हिंसा को ‘लोकतंत्र’ पर हमला मान रहे हैं ! जबकि कडुवी सच्चाई यह है कि नक्सली हिंसक तांडव सच्चे अर्थों में ‘लोकतंत्र’ की स्थापना के लिए ‘जनता’ द्वारा उठाया गया ‘अपरिहार्य’ क़दम है ! गोली मारकर लाश पर कूदना ही ‘नक्सली’ सच नहीं है …जीवित बचे लोगों के बहते ख़ून को रोकने के लिए नक्सली लड़कियों द्वारा ‘इंजेक्शन’ लगाना भी नक्सली तस्वीर का एक पक्ष है !
– ईशू

यदि स्वतंत्र भारत का सर्वाधिक सत्ता सुख ‘आपके’ हिस्से आया है तो तय मानिए आपकी ही ग़लत नीतियों के फलस्वरूप पैदा
हुए असमानता के दंश का ठींकरा आपके सर ही फोड़ा जाएगा ! सुख की ‘मलाई’ आप चाटेंगे तो विरोध के ‘चांटे’ क्या विपक्षी
झेलेगा ? फिर आप तो ‘बलिदानी’ परम्परा से आते हैं न ? फिर स्यापा कैसा ?
– ईशू

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