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कभी हम हो सकते हैं…

मेरा पक्ष...
मेरा पक्ष...
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April 28, 2013
कभी हम हो सकते हैं उनके सटीक निशाने के शिकार फिर भी,
मैं उन्हें दिन दूने मन से लक्ष्य भेदना सिखाता रहा हूँ दोस्तों !
April 27, 2013
शैतानियाँ भोलेपन की हवा में घुल गयीं,
बच्चे स्कूल से घर लौट रहे थे …!
April 26, 2013
पास आकर भी दरम्यां हमारे ख़ामोशी रही,
आप से बेहतर था आपकी ‘यादें’ आतीं !

बात स्पष्ट हो तो कुछ ‘क़दम’ चलूँ भी…
होठों से कह दो…बुदबुदाना बंद करें !

पूछने से पहले ही सुलझ जाती है प्रश्नों की गुत्थी,
कुछ आँखें कितनी हाज़िर जवाब होती हैं …!
April 25, 2013
वो तो बेवफ़ाई के किस्सों ने बचा लिया वरना ,
उसकी सूरत ने तो ढ़ा ही रखा था कहर साथियों !

…और भी बेहतर होता,फेरकर मुँह तुम खुलकर हँसते…
वो देखो,मंद मुसकान के चक्कर में हंसी ने दम तोड़ दिया !

न रखें हरदम रिश्तों की मुंडेर पर सयानेपन का ‘दीपक’
शैतानियाँ बच्चों-सी भी अक्सर काम आती हैं दोस्तों !

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