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24 April 2013
1
आप चाहें तो बदस्तूर जारी रख सकते हैं क्रम ‘लूटने’ का,
हम हरकतों पर नहीं…बस ‘खातों’ पर रोक लगाते हैं !
2
‘चीन’ से कह दो,जो पसंद आए…ले लो वो अंग भारत माँ का…
तंग न करो…हम व्यस्त हैं, ‘घोटालों’ की महा पंचायत में !
3
जिसका देखो…उसी का हाथ निकलता है ,
शायद ‘घोटालों’ का वर्ग चरित्र नहीं होता !
4
आजिज़ भूख से आकर,मज़दूर ने ख़ुदकुशी कर ली…
सुना है…उसमें ‘इतिहास’ को बदलने का हुनर था ?
5
बस…’उपवास’…और तुम चाहते हो कि हम भूल जाएं ‘मुद्दे’ को ?
नहीं मेरे भाई…अब ‘बात’ निकली है तो जाएगी दूर तलक भी !
6
दोस्त ! जो भी कहो,कहो सीधे-सीधे…
अब ‘परीक्षाओं’ से ऊब होने लगी है !
7
दोस्त ! तुम मौसम की तरह बदलना…मगर लय-से ,
बेशक ! मैं परिवर्तन का पक्षधर हूँ…बशर्ते ‘क्रमिक’ हो !
8
सोनिया ने कांग्रेस में खींची नेहरू-इंदिरा से बड़ी लकीर
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छोड़कर अपवाद छाया है हर घर में मातमी सन्नाटा मगर,
बेशर्म सियासत के द्वार पर ‘बड़ी लकीरों’ के जश्न जारी हैं !
9
अब उनसे मिलूँ…तो कैसे मिलूँ ‘प्रदीप’ ?
दीवार बन के खड़ी हैं ‘मालाएं’ हमारे बीच !
10
ज़िंदगी ‘रस्ते’ मिलाये…तो साथ चल कर देख लेना ‘प्रदीप’
ग़लत-फ़हमियों की साजिश से अक्सर लोग ‘खो’ जाते हैं !
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