सीमा…===============
नो ! कोई तारीफ़ नहीं…
आज मैं तुम्हें सिर्फ़ देखूँगा… जी भर के…
जानती हो क्यूँ…?
क्यूँकि… ‘शब्द’ सुंदरता की… ‘सीमा’ निर्धारित कर देते हैं…!
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