मेरा पक्ष...
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निंदा
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यदि आपके हाथ
पहले से ही
‘ख़ून’ से रंगे हों…
तो आप
खो देते हैं हक़
‘ख़ूनी’ को पकड़ने
अथवा मारने का…!
लेकिन
ख़ूनी को पकड़ने / मारने
की निंदा
सिर्फ़ इस आधार पर
नहीं की जा सकती
कि उस पर आक्रमण का अधिकार
मात्र ‘साफ़’ हाथ को ही है…!
आओ पहले इंसानियत के वास्ते
‘ख़ूनी’ को मारे जाने का उत्सव मनाएं
फिर ‘ख़ून’ सने हाथ को
न्याय के कटघरे में भी खड़ा करें…!
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